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All About Lord murugan HD imagesLord Murugan HD images: दोस्तों आज के इस ब्लॉग में हम भगवान कार्तिकेय के बारे में जानेंगे। जैसा कि आप जानते हैं कार्तिकेय हिंदू देवी देवताओं में प्रमुख स्थान रखते हैं मुख्य रूप से भारत के तमिलनाडु में इनकी प्रतिमा की पूजा की जाती है। भगवान कार्तिकेय (Lord Murugan) को तमिल लोगों का भगवान और तमिलनाडु राज्य की रक्षा करने वाले देवता माना जाता है इसलिए तमिलनाडु में प्रमुख रूप से इनकी पूजा की जाती है।
भगवान कार्तिकेय महादेव शंकर (God Shankar) और माता पार्वती के पुत्र थे। इनकी पूजा हमेशा बाल रूप (Lord Murugan HD images as a Childhood) में की जाती है इसके पीछे भी एक रहस्य है भगवान कार्तिकेय ने छह बालक के रूप में जन्म लिया तथा इनकी देखरेख सप्त ऋषि की पत्नियों के द्वारा की गई थी। इसलिए इनकी पूजा बाल रूप (Lord Murugan Images as a child) में की जाती है।
दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय की मूर्ति (Lord Murugran HD images/photos ) की पूजा की जाती हैभगवान मुरूगन के दक्षिण भारत आने का वर्णन प्राचीन ग्रंथों में किया गया है जिसमें बताया गया है कि पृथ्वी के तीन चक्कर लगाने की प्रतियोगिता में हार जाने के कारण भगवान मुरूगन क्रोधित होकर कैलाश से भारत के दक्षिणी हिस्से की ओर चले गए थे उसके बाद से दक्षिण भारत में इन की मूर्ति (God Murugan HD images) की पूजा की जाती है एवं वहां के रक्षक देवता भी माने जाते हैं। कार्तिकेय के जन्म की कथा / Who is Lord Muruganकार्तिकेय की जन्म की कथा स्कंद पुराण के अंदर देखने को मिलती है जिसके अनुसार एक बार जब भगवान शिव और माता पार्वती देवदारू वन में एकांतवास के लिए गए हुए थे और देवताओं को उनकी जरूरत थी। जब अग्नि देव गुफा में भगवान शंकर के पास पहुंचे तो शिव और माता पार्वती (Lord Shiva and Parvati) संभोग क्रीडा मैं व्यस्त थे, पर जब अग्निदेव को अपने पास पाया तो उन्हें अग्नि देव के समक्ष आना पड़ा इस दौरान भगवान शिव का वीर्यपात हो गया। जब इस वीडियो को अग्निदेव लेकर जाने लगे तो यह उनसे ग्रहण नहीं किया गया क्योंकि उनके वीर्य में इतना अधिक तेज था की अग्नि देव सहन नहीं कर पाए, इसलिए उन्होंने यह वीर्य मां गंगा को सौंप दिया। वीर्य का तेज इतना अधिक था की गंगा भी इससे उगलने लगी थी, इसे लेकर गंगा सरवण वन मैं पहुंचे मां गंगा के वेग के कारण यह छह भागों में विभाजित हो गया था जिसके बाद इन छह भागों से सुंदर बच्चों का जन्म हुआ और यह बच्चे सप्त ऋषि की पत्नियों कार्तिकेय को मिली। जब देवताओं को यह बात पता चली तो माता पार्वती अपने बच्चो से मिलने की उत्सुकता में बच्चों को इतना जोर से गले लगाए कि वो छह बच्चे एक बच्चे के रूम में हो गए और अपने माता पिता के साथ देवलोक को रवाना हुए।
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